Wednesday 15 May 2019

भारतीय इतिहास

                      वैदिक सभ्यता
१: वैदिक सभ्यता का आरंभ आर्यों के आगमन के साथ ईसा पूर्व की दूसरी शताब्दी में किसी समय हुआ महाभारत संसार का सबसे लंबा महाकाव्य है वेद संस्कृत की विद धातू से बना है जिसका अर्थ है जानना अथवा ज्ञान प्राप्त करना।
२: हिमालय पर्वत से लेकर विंध्य पर्वत तथा पूर्वी समुद्र से पश्चिमी समुद्र के संपूर्ण भाग को आर्यवर्त कहा जाता था सप्त सिंधु में सिंधु बितस्ता अश्कनी परूश्नी बिपाशा  शुतुदृई और सरस्वती यानी सरस्वती नदियां शामिल थे।
३: आर्यों का मूल निवास स्थान आल्पस पर्वत के पूर्वी भाग में स्थित यूरेशिया के आसपास माना जाता है कुछ लोग इनके निवास स्थान को मध्य एशिया भी मानते हैं।
४: आर्यों के चार वेद है ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद ऋग्वेद में 10 मंडल और 1028 सूक्त है इसमें श्लोकों की कुल संख्या 10462 है।
५: यजुर्वेद के दो भाग हैं शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद ।सामवेद में 1549  रचनाये है इसमें मात्र 78 नई है बाकी सब ऋग्वेद से ली गई है अथर्ववेद में 20 कांड 731 सूक्त और 5987 मंत्रों का संग्रह है इसमें लगभग 12 सौ मंत्र ऋग्वेद से ही लिए गए हैं।
६: ऋग्वेद का रचनाकाल 1520 अपूर्व से 1000 ईसा पूर्व तक माना जाता है ऋग्वेद में 33 देवताओं का उल्लेख है । ऋग्वेद में यमुना का प्रयोग तीन बार ,व गंगा ,सरयू का प्रयोग एक बार हुआ है। ऋग्वेद में जन शब्द का उल्लेख 275 बार हुआ है।
७: युद्ध मुख्य रूप से धनुष बाण से लड़ा जाता था इसमें दो तरह के तीर काम में लाए जाते थे एक जहर और सींग के मुंह वाला और दूसरा अयस का।
८: सैनिकों आदि को वेतन मुद्राओं या भूमि के रूप में नहीं मिलता था बल्कि वह सोने-चांदी और पशुधन के रूप में दिया जाता था।
९: विदथ महत्वपूर्ण संस्था प्रतीत होती है जिसका उल्लेख 122 बार हुआ है जबकि सभा का उल्लेख आठ बार तथा समिति का 7 बार हुआ है ।रिगवैदिक समाज का आधार परिवार था परिवार पितृसत्तात्मक होता था परिवार का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को कुलप कहलाता था।
१०: वैदिक समाज में स्त्रियों की दशा काफी अच्छी थी उन्हें पूरी आजादी थी पर्दा प्रथा नहीं थी ऋग्वेद में घोषा लोपामुद्रा आदि महिलाओं के नाम मिलते हैं जो बहुत पढ़ी लिखी थी।
११: आर्य शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थे जों के सत्तू को दही में मिलाकर करभ नामक खाद्य पदार्थ बनाया जाता था। ऋग्वेद में नमक का उल्लेख नहीं हुआ है प्राय भेड़ बकरी आदि पशुओं का मांस खाया जाता था सोम तथा सुरा आर्यों के मुख्य पेय पदार्थ थे सोम ,यज्ञ में पीया जाने वाला पेय पदार्थ था ।ऋग्वेद के नवें मंडल में इसका उल्लेख किया गया है।

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