Saturday 18 May 2019

भारतीय इतिहास

Vaidik Sanskriti
१:आर्यों के वस्त्र सूत, ऊन ,तथा  मृगचर्म  से बनाए जाते थे एक रेशमी अंतः वस्त्र के प्रयोग का उल्लेख भी मिलता है स्त्री पुरुष दोनों ही पगड़ी धारण करते थे कानों में कर्णफूल गले में निष्क हाथों में कड़े आदि पहनते थे ऋग्वेद में नाई को बपता कहा गया है।
२: रिगवैदिक काल में पशु अर्थात गाय ही मुख्य संपत्ति थी गायों की खोज के लिए युद्ध हुआ करते थे अर्थात युद्ध का कारण गाय हुआ करती थी ऋग्वेद के 10462 श्लोकों में से केवल 24 में ही कृषि का उल्लेख है ऋग्वेद में एक ही अनाज यश अर्थात जों का उल्लेख है।
३:  रिगवैदिक काल का राजन एक कबीले के मुखिया से अधिक कुछ भी नहीं था वह एक पुरोहित और योद्धा के काम किया करता था वह किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र का स्थाई शासक नहीं था।
४: ऋग्वेद में बताए गए प्रमुख पालतू पशु
गाय  -छठे मंडल में
भैंस -पांचवे मंडल में
भेड़ बकरी- दसवें मंडल में
घोड़ा -दूसरे मंडल में
हाथी -आठवें मंडल में
ऊंट - आठवें मंडल में
कुत्ता सूअर गधा हिरण -कई जगह
५:  प्रमुख विषय ऋषि और मंडल एक नजर में
विश्वामित्र- तीसरा मंडल
बामदेव- चौथा मंडल
वशिष्ठ- पांचवा मंडल
भारद्वाज -छठा मंडल
अत्री -सातवां मंडल
६:मुख्य व्यापार रथ और बैल गाड़ियों द्वारा होता था ऋग्वेद में समुद्र शब्द का अनेक बार उल्लेख हुआ है भीषज चिकित्सक अथवा बैद होता था ऋग्वेद में कपास शब्द का प्रयोग नहीं मिलता है ऊन का प्रयोग इस काल में अवश्य होता था भारत वर्ष में प्रवेश करने से पहले ही आर्य खेती करना सीख गए थे साधारणतया कृषक वर्षा जल पर ही निर्भर रहते थे ऋग्वेद में मुख्य धातु में प्रमुख थीअयस।अथर्ववेद में निश्चित रूप से चांदी का प्रयोग मिलता है।

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