Monday 27 May 2019

भारतीय इतिहास

महाभारत काल
१: पुराणों में महाभारत का समय 3012 ईसा पूर्व मिलता है जबकि 900 ईसा पूर्व में महाभारत का युद्ध हुआ था। पुराणों की रचना वैदिक साहित्य के बाद हुई थी।
२: महाभारत का रचनाकाल 500 ईसा पूर्व तथा रामायण का रचनाकाल 600 ईसा पूर्व के लगभग माना जाता है।
३: राम का दक्षिण को पार करके लंका पर विजय प्राप्त करने का वर्णन स्पष्ट रूप से दक्षिण में आर्यों के प्रवेश का संकेत था आर्यों का व्यापार मुख्यतः स्थानीय क्षेत्रों में ही था।
४:  आर्यों को  द्विज अर्थात 2 बार जन्म देने वाली जाति का कहा जाता था जिसमें ब्राह्मण क्षत्रिय तथा  वैश्य  किसान थे। बाल विवाह प्रथा नहीं थी जीवनसाथी चुनने का पर्याप्त अवसर मिलता था दहेज और वधु का मूल्य दोनों प्रथाएं प्रचलित थी।
५: अथर्ववेद ऐसी कन्या का उल्लेख करता है जो अविवाहित रूप में आजीवन अपने माता पिता के साथ रहती थी अविवाहित पुरुष को यज्ञ का अधिकार नहीं था यज्ञ आदि के लिए पुत्र बहुत जरूरी था उसकी प्राप्ति के लिए विवाह भी जरूरी था।
६: अथर्ववेद का कथन है कि स्त्री के 4 पति होते हैं सोम, अग्नि ,गंधर्व और वास्तविक पति।
७:  प्रथम अवस्था जिसमें उसका पति सोम कहा गया है उसके सौंदर्य शील और संस्कृति के विकास की अवस्था है ।दूसरी अवस्था में जिसमें उसका पति अग्नि कहा गया है कन्या में चारित्रिक भावना का विकास होता है ।तीसरी अवस्था में जब उसका पति गंधर्व बताया गया है उसे नृत्य संगीत तथा अन्य ललित कलाओं के शिक्षा दी जाती हैं।
८: मनोरंजन के लिए घुडदौड़ ,रथदौड़ ,आखेट करना आदि  प्रचलित था। इस काल में पासे अथवा चोपड़ का खेल बहुत ही लोकप्रिय था।
९: जल और थल दोनों मार्गो से व्यापार होता था उत्तर वैदिक में निष्क के प्रयोग आभूषण के तौर पर होता था सिक्के का प्रचलन नहीं था।
१०: उत्तर वैदिक काल में शिक्षा राजकीय संस्थाओं में नहीं दी जाती थी बल्कि विद्वान ब्राह्मणों द्वारा व्यक्तिगत आधार पर दी जाती थी इसलिए गुरुकुल शिक्षा के केंद्र थे। इस काल में शिक्षा का लक्ष्य आत्मज्ञान प्राप्त करना था।

Saturday 18 May 2019

भारतीय इतिहास

Vaidik Sanskriti
१:आर्यों के वस्त्र सूत, ऊन ,तथा  मृगचर्म  से बनाए जाते थे एक रेशमी अंतः वस्त्र के प्रयोग का उल्लेख भी मिलता है स्त्री पुरुष दोनों ही पगड़ी धारण करते थे कानों में कर्णफूल गले में निष्क हाथों में कड़े आदि पहनते थे ऋग्वेद में नाई को बपता कहा गया है।
२: रिगवैदिक काल में पशु अर्थात गाय ही मुख्य संपत्ति थी गायों की खोज के लिए युद्ध हुआ करते थे अर्थात युद्ध का कारण गाय हुआ करती थी ऋग्वेद के 10462 श्लोकों में से केवल 24 में ही कृषि का उल्लेख है ऋग्वेद में एक ही अनाज यश अर्थात जों का उल्लेख है।
३:  रिगवैदिक काल का राजन एक कबीले के मुखिया से अधिक कुछ भी नहीं था वह एक पुरोहित और योद्धा के काम किया करता था वह किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र का स्थाई शासक नहीं था।
४: ऋग्वेद में बताए गए प्रमुख पालतू पशु
गाय  -छठे मंडल में
भैंस -पांचवे मंडल में
भेड़ बकरी- दसवें मंडल में
घोड़ा -दूसरे मंडल में
हाथी -आठवें मंडल में
ऊंट - आठवें मंडल में
कुत्ता सूअर गधा हिरण -कई जगह
५:  प्रमुख विषय ऋषि और मंडल एक नजर में
विश्वामित्र- तीसरा मंडल
बामदेव- चौथा मंडल
वशिष्ठ- पांचवा मंडल
भारद्वाज -छठा मंडल
अत्री -सातवां मंडल
६:मुख्य व्यापार रथ और बैल गाड़ियों द्वारा होता था ऋग्वेद में समुद्र शब्द का अनेक बार उल्लेख हुआ है भीषज चिकित्सक अथवा बैद होता था ऋग्वेद में कपास शब्द का प्रयोग नहीं मिलता है ऊन का प्रयोग इस काल में अवश्य होता था भारत वर्ष में प्रवेश करने से पहले ही आर्य खेती करना सीख गए थे साधारणतया कृषक वर्षा जल पर ही निर्भर रहते थे ऋग्वेद में मुख्य धातु में प्रमुख थीअयस।अथर्ववेद में निश्चित रूप से चांदी का प्रयोग मिलता है।

Wednesday 15 May 2019

भारतीय इतिहास

                      वैदिक सभ्यता
१: वैदिक सभ्यता का आरंभ आर्यों के आगमन के साथ ईसा पूर्व की दूसरी शताब्दी में किसी समय हुआ महाभारत संसार का सबसे लंबा महाकाव्य है वेद संस्कृत की विद धातू से बना है जिसका अर्थ है जानना अथवा ज्ञान प्राप्त करना।
२: हिमालय पर्वत से लेकर विंध्य पर्वत तथा पूर्वी समुद्र से पश्चिमी समुद्र के संपूर्ण भाग को आर्यवर्त कहा जाता था सप्त सिंधु में सिंधु बितस्ता अश्कनी परूश्नी बिपाशा  शुतुदृई और सरस्वती यानी सरस्वती नदियां शामिल थे।
३: आर्यों का मूल निवास स्थान आल्पस पर्वत के पूर्वी भाग में स्थित यूरेशिया के आसपास माना जाता है कुछ लोग इनके निवास स्थान को मध्य एशिया भी मानते हैं।
४: आर्यों के चार वेद है ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद ऋग्वेद में 10 मंडल और 1028 सूक्त है इसमें श्लोकों की कुल संख्या 10462 है।
५: यजुर्वेद के दो भाग हैं शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद ।सामवेद में 1549  रचनाये है इसमें मात्र 78 नई है बाकी सब ऋग्वेद से ली गई है अथर्ववेद में 20 कांड 731 सूक्त और 5987 मंत्रों का संग्रह है इसमें लगभग 12 सौ मंत्र ऋग्वेद से ही लिए गए हैं।
६: ऋग्वेद का रचनाकाल 1520 अपूर्व से 1000 ईसा पूर्व तक माना जाता है ऋग्वेद में 33 देवताओं का उल्लेख है । ऋग्वेद में यमुना का प्रयोग तीन बार ,व गंगा ,सरयू का प्रयोग एक बार हुआ है। ऋग्वेद में जन शब्द का उल्लेख 275 बार हुआ है।
७: युद्ध मुख्य रूप से धनुष बाण से लड़ा जाता था इसमें दो तरह के तीर काम में लाए जाते थे एक जहर और सींग के मुंह वाला और दूसरा अयस का।
८: सैनिकों आदि को वेतन मुद्राओं या भूमि के रूप में नहीं मिलता था बल्कि वह सोने-चांदी और पशुधन के रूप में दिया जाता था।
९: विदथ महत्वपूर्ण संस्था प्रतीत होती है जिसका उल्लेख 122 बार हुआ है जबकि सभा का उल्लेख आठ बार तथा समिति का 7 बार हुआ है ।रिगवैदिक समाज का आधार परिवार था परिवार पितृसत्तात्मक होता था परिवार का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को कुलप कहलाता था।
१०: वैदिक समाज में स्त्रियों की दशा काफी अच्छी थी उन्हें पूरी आजादी थी पर्दा प्रथा नहीं थी ऋग्वेद में घोषा लोपामुद्रा आदि महिलाओं के नाम मिलते हैं जो बहुत पढ़ी लिखी थी।
११: आर्य शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थे जों के सत्तू को दही में मिलाकर करभ नामक खाद्य पदार्थ बनाया जाता था। ऋग्वेद में नमक का उल्लेख नहीं हुआ है प्राय भेड़ बकरी आदि पशुओं का मांस खाया जाता था सोम तथा सुरा आर्यों के मुख्य पेय पदार्थ थे सोम ,यज्ञ में पीया जाने वाला पेय पदार्थ था ।ऋग्वेद के नवें मंडल में इसका उल्लेख किया गया है।

Tuesday 14 May 2019

भारतीय इतिहास

१:सिंधु सभ्यता सिंधु घाटी की सभ्यता हड़प्पा सभ्यता तीनों शब्दों का एक ही अर्थ है सिंधु सभ्यता का भौगोलिक विस्तार था बलूचिस्तान उत्तर पश्चिम सीमांत सिंध पश्चिमी पंजाब बहावलपुर राजस्थान हरियाणा पूर्वी पंजाब गंगा यमुना दोआब जम्मू गुजरात और उत्तरी अफगानिस्तान।
२: सिंधु सभ्यता के कुल स्थलों की संख्या लगभग 1500 तक पहुंच गई है सिंधु सभ्यता के क्षेत्र का आकार त्रिभुजाकार था सिंधु सभ्यता की नगर योजना के अंतर्गत मोहनजोदड़ो हड़प्पा चन्हूदरो कालीबंगा लोथल सुरकोटड़ा बनावली प्रमुख थे मोहनजोदड़ो के मकान प्राय पक्की ईंटों के बने थे कहीं कहीं दो मंजिले मकान भी पाए गए हैं मकान का प्रवेश द्वार साधारणतय साथ वाली सड़कों पर खुलता था।
३: चन्हूदड़ो से मनके बनाने का कारखाना मिला है कालीबंगा से हवन कुंड का सबूत मिलता है यहां पश्चिम में कब्रिस्तान भी मिला है यहां के घर कच्ची ईंटों के बने थे जल निकास प्रणाली नहीं थी जबकि मोहनजोदड़ो में जल निकाल की अच्छी व्यवस्था थी।
४: लोथल के पूर्वी खंड में तालाब जैसा एक घेरा मिला है कुछ विद्वान इसको गोदी बाड़ा के रूप में देखते हैं लोथल से अभी तक 6 फसलें पहचानी गई है चावल जों की दो किसमें
गेहूं की तीन किस्में कपास खजूर तथा तरबूज मटर आदि।
५: सिंधु सभ्यता की लिपि चित्रात्मक थी तथा 400  चिन्ह ज्ञात है। मोहन जोदड़ो और हड़प्पा सिंधु साम्राज्य की दो राजधानियां थी लोग भूत प्रेत जादू टोना में विश्वास करते थे यहां से 200 मोहरे अभी तक प्राप्त हुई है।
६: समाज की परंपरागत इकाई परिवार था परिवार मातृसत्तात्मक लगता है पुजारी ज्योतिषी जादूगर बैद आदि उच्च वर्गीय श्रेणी में आते थे स्त्री और पुरुष दोनों पगड़ी पहनते थे हड़प्पा से एक बोतल में काले रंग की वस्तु संभवत काजल मिला है सिंधु सभ्यता के लोग आभूषण के प्रेमी थे मछली पकड़ना शिकार करना पाशा खेलना आदि उनके मनोरंजन के साधन थे।
७:  तांबा राजस्थान के खेत्री खानों से मंगाया जाता था टीन अफगानिस्तान से आता था सोना चांदी अफगानिस्तान से तथा रत्न दक्षिण भारत से आते थे मोहनजोदड़ो से सूती कपड़े का अवशेष मिला है।

Sunday 12 May 2019

भारतीय इतिहास

१: सिंधु सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी जिसमें नगरों के निर्माण में पक्की ईंटों का प्रयोग किया गया था
२: सिंधु सभ्यता के लोग घोड़े से अपरिचित थे ।
३:  हड़प्पा का पुरास्थल पाकिस्तान के शाही वाल जिले में रावी नदी के तट पर नदी से लगभग 3:30 किलोमीटर हटकर स्थित है ।
४: हड़प्पा नगर 5 किलोमीटर के घेरे में बसा हुआ था हड़प्पा का दुर्ग क्षेत्र सुरक्षा प्राचीर से घिरा था।
५: हड़प्पा के अन्ना गार में 12 कक्ष जो 6 ,6 की 2 पंक्तियों में बने थे।
६: यहां मजदूरों की छोटे छोटे मकानों वाली बस्ती भी है मजदूरों की आवास में 15 मकान दो लाइनों में बनाए गए थे । 7 मकान उत्तर दिशा में और 8 मकान दक्षिण दिशा में थे।
७:  शव  प्राय उत्तर दक्षिण दिशा में दफनाए जाते थे जिनमें से उत्तर की ओर होता था।
८: हड़प्पा के प्रत्येक घर में कमरे और आंगन होते थे ,कुएं प्राप्त नहीं  हुए हैं।
९: नगर योजना में सड़कों को महत्वपूर्ण स्थान मिला था जिनका निर्माण उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम दिशा में किया गया था एक दूसरे को समकोण पर काटती चौड़ी सड़कों द्वारा मोहनजोदड़ो नगर 12 विशाल आयताकार खंडों में बांटा था मोहनजोदड़ो में मुख्य सड़कें 9.15 मीटर और सहायक सड़कें के 3 मीटर चौड़ी थी।
१०: मोहनजोदड़ो में मकानों के दरवाजे और खिड़कियां प्राय सड़को की और न होकर होकर गलियों की ओर होती थी निवास कक्ष का निर्माण पक्की ईंटों से किया गया था।
११: मोहनजोदड़ो के अवशेष पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाहिनी किनारे पर स्थित है।
१२: काली बंगा की खुदाई बीबी लाल और बीके थापर ने घग्गर नदी पर राजस्थान में की थी हल से जूते खेत के साक्ष्य भी यहीं से मिले हैं यहां से घर कच्ची ईंटों के बने मिले हैं।
१३: मेसोपोटामिया की बेलनाकार मुहर
भी यहीं से मिली है यह वहां की स्थानीय विशेषता थी काले रंग की मिट्टी की चूड़ियां भी यहीं से प्राप्त हुई है शायद इसीलिए इसका नाम कालीबंगा रखा गया है यहां से अग्नि कुंड और हवन कुंड के साक्ष्य मिले हैं यहां से लकड़ी की नाली भी मिली है।
१४:  काली  बंगा के  लोगों के बर्तन लाल और गुलाबी रंग के होते थे यह लोग छह प्रकार के बर्तन बनाते थे इनमें पेदीदार और संकरे मुंह के कलश, वर्तुल आकार और चिपटी पेंदे के घड़े मटके कटोरे साधारण तश्तरीया तसले और ढक्कन आदि होते थे।
१५:  राजस्थान के गंगानगर जिले में कालीबंगा नामक महत्वपूर्ण पुरास्थल है इसकी खोज सन 1951 में अमला नंद घोष ने की थी।

Friday 10 May 2019

भारतीय इतिहास

परिचय
इतिहास अंग्रेजी शब्द हिस्ट्री का हिंदी अनुवाद है।हिस्ट्री शब्द यूनानी भाषा के शब्द हिस्टोरिया से बना है यूनान के पांचवी सदी ईसा पूर्व के इतिहासकार हेरोडोटस को इतिहास का पिता कहा जाता है।
         .......   सिंधु घाटी सभ्यता....
1: सिंधु घाटी सभ्यता प्रसिद्ध थी सुनियोजित शहर के लिए
2: सिंधु सभ्यता के लोगों का व्यवसाय था कृषि
3: सिंधु घाटी वासियों की मुख्य फसल थी जो और गेहूं
4: हड़प्पा सभ्यता के बारे में सबसे पहले जानकारी दी चार्ल्स मैसन ने।
4: मोहन  जोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई किसके निर्देशन में हुई सर जॉन मार्शल के 5: हड़प्पा सभ्यता कैसी थी कांस्य युगीन 6: सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि कैसी थी चित्रात्मक
7: मिस्र के राजा कहलाते थे फराओ   8:आदिमानव ने सबसे पहले सीखा था आग जलाना
9: सबसे पहले पालतू बनाया गया जानवर था कुत्ता
10:हड़प्पा स्थित है रावी नदी के तट पर
11: सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह है लोथल
12:हड़प्पा के लोग अनभिज्ञ थे लोहे से
13:सिंधु घाटी सभ्यता का सर्वमान्य काल था 2500 से 1750 ईशा पूर्व तक
14: स्वास्तिक का चिन्ह किसकी देन है सिंधु सभ्यता का
15: खरोष्ठी लिपि लिखी जाती थी दाएं से बाएं